हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित हदीस को "शरह नहज उल-बलागा, इब्न अबील-हदीद" किताब से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام العلی علیه السلام:
مَنْ طَلَبَ عِزّا بِظُلْمٍ وَباطِلٍ أَوْرَثَهُ اللّه ُ ذُلاًّ بِإِنْصافٍ وَ حَقٍّ؛
हज़रत इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
जो कोई अन्याय और अधर्म (झूठ) के माध्यम से सम्मान चाहता है, तो अल्लाह, अतिशयोक्ति, सत्य और न्याय के साथ अपमान को उसकी नियति घोषित करता है।
शरह नहज उल-बलागा, इब्न अबील-हदीद, भाग 20, पेज 309, हदीस 536